प्राइवेट कंपनियों में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) करना सुरक्षित हो सकता है, लेकिन इसमें कुछ महत्वपूर्ण जोखिम जुड़े होते हैं। इन जोखिमों को समझने और कम करने के लिए, निम्नलिखित बातों पर ध्यान दें:

  1. क्रेडिट रेटिंग जांचें:

कंपनी के FD की क्रेडिट रेटिंग को ध्यान से देखें।

CRISIL, ICRA, CARE, और Fitch जैसी रेटिंग एजेंसियां इन डिपॉजिट्स की विश्वसनीयता रेट करती हैं।

AAA रेटिंग सबसे सुरक्षित मानी जाती है।

  1. ISIN नंबर:

ISIN (International Securities Identification Number) एक यूनिक कोड होता है जो कि सिक्योरिटीज़ को पहचानने में मदद करता है।

कंपनी की FD स्कीम के ISIN को उसकी आधिकारिक वेबसाइट, ब्रोशर, या SEBI की सूची में चेक करें।

  1. कंपनी की वित्तीय स्थिति:

कंपनी के फाइनेंशियल स्टेटमेंट और बैलेंस शीट को जांचें।

यह देखें कि कंपनी पर कितना कर्ज है और वह अपने निवेशकों को समय पर भुगतान कर रही है या नहीं।

  1. FD स्कीम के नियम और शर्तें:

ब्याज दरें भले ही आकर्षक हों, लेकिन नियमों और शर्तों को ध्यान से पढ़ें।

जानें कि क्या समय से पहले निकासी की अनुमति है और उस पर क्या जुर्माना लगेगा।

  1. SEBI और RBI का नियमन:

यह सुनिश्चित करें कि कंपनी SEBI (Securities and Exchange Board of India) या RBI (Reserve Bank of India) द्वारा मान्यता प्राप्त हो।

RBI केवल गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के FD को रेगुलेट करता है।

  1. जोखिम और रिटर्न का संतुलन:

प्राइवेट कंपनियां आमतौर पर बैंकों के मुकाबले उच्च ब्याज दर ऑफर करती हैं, लेकिन इसमें डिफॉल्ट का खतरा अधिक होता है।

कंपनी के पिछले भुगतान रिकॉर्ड की जांच करें।

सुरक्षित विकल्प:

यदि आप कम जोखिम चाहते हैं:

सरकारी बैंकों की FD चुनें।

Post Office Term Deposit या RBI Floating Rate Bonds का चयन करें।

म्यूचुअल फंड में Debt Funds जैसे विकल्प चुनें।

निष्कर्ष:

फिक्स्ड डिपॉजिट के लिए हमेशा भरोसेमंद और अच्छी क्रेडिट रेटिंग वाली कंपनियों को चुनें। ISIN नंबर और कंपनी की जानकारी SEBI की वेबसाइट (www.sebi.gov.in) और अन्य प्रमाणित स्रोतों पर वेरिफाई करें।

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